सनातनी
वैश्विक व्यवस्था
PERPETUAL
WORLD ORDER
कार्मिक समाज- धार्मिक (धर्म युक्त-धर्म निरपेक्ष) समाज, स्वस्थ समाज- सुखी
समाज
भारत = (1) भा+रत (भा = रोशनी,
प्रकाश, ज्योति+रत = व्यस्त होना,
संलग्न होना) = प्रकाशित, रोशन, ज्योतिर्मय करने में व्यस्त/संलग्न भारत - (2) एवं भारत = भा+र+त (भा-भाव+र-रस+त-ताल
= भावयुक्त, रसयुक्त एवं लययुक्त भारत) = संगीतमय भारत,भारत = प्रकाशित करने
में संलग्न संगीतमय भारत, रोशन करने में संलग्न संगीतमय भारत, ज्योतिर्मय करने में
करने में संलग्न संगीतमय भारत
कार्मिक समाज- धार्मिक (धर्म युक्त-धर्म निरपेक्ष) समाज, स्वस्थ समाज- सुखी
समाज
भारत = (1) भा+रत (भा = रोशनी,
प्रकाश, ज्योति+रत = व्यस्त होना,
संलग्न होना) = प्रकाशित, रोशन, ज्योतिर्मय करने में व्यस्त/संलग्न भारत - (2) एवं भारत = भा+र+त (भा-भाव+र-रस+त-ताल
= भावयुक्त, रसयुक्त एवं लययुक्त भारत) = संगीतमय भारत,भारत = प्रकाशित करने
में संलग्न संगीतमय भारत, रोशन करने में संलग्न संगीतमय भारत, ज्योतिर्मय करने में
करने में संलग्न संगीतमय भारत
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वैश्विक व्यवस्था" PERPETUAL
WORLD ORDER
पूर्व कथन
निवेदक स्वभाव से बहुत आराम पसंद रहा है, निवेदक की
हमेशा आराम से, प्रसन्नता से रहने की आदत रही है और इसी आदत के कारण निवेदक को
काफी परेशानी उठानी पड़ी, निवेदक जहाँ जाता वहीं बहुत सारी परेशानियां । निवेदक आराम पसंद
के अतिरिक्त आलसी एवं समस्याओं को नजरअंदाज करने वाला भी रहा है, इसलिए समस्याओं
के होते हुए भी काफी समय तक समस्याओं को बस देखता रहा और सोचता रहा कि जीवन के सभी
क्षेत्रों में (सामाजिक, आर्थिक,
धार्मिक, एवं राजनैतिक) में वरिष्ठ लोग शीर्ष पर बैठे ही हैं-उन्हें अनुभव भी है, वह ठीक कर ही देंगे,
और इस तरह समय गुजारता रहा ।
लेकिन जीवन में आराम, शान-शौकत
की बात तो दूर, जब दिक्कतें आने लगी, अपने को और अपनों को, तब जीवन में एक जीवन को देखना शुरू किया,
बुजुर्गों के पास बैठना शुरु किया
उनके अनुभव को आत्मसात करना शुरू किया, अंर्त-जगत के महानुभावों एवं साधु-संतों के अनुभव एवं आर्शीवचन को ग्रहण किया,
आध्यात्मिक जगत के महात्माओं का एवं फकीरों का सानिध्य
प्राप्त हुआ एवं इन महात्माओं से बहुत सारे प्रश्न पूछे की समस्याओं का समाधान
क्या है?, समस्याओं के
समाधान के लिये व्यक्ति, परिवार, समाज एवं सरकार की
क्या भूमिका होनी चाहिये? क्या इसके लिए एक वृहद् संवाद, सहमति एवं सहयोग कार्यक्रम सही कदम होगा?
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